Friday, August 7, 2015

जब तक है जान नयी शायरी


जब तक है जान शायरी
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तेरी आँखों की नमकीन मस्तियाँ
तेरी हंसी की बेपरवा गुस्ताखियाँ
तेरी जुल्फों की लहराती अंगडाइयां
नहीं भूलूंगा मैं ।
जब तक है जान, जब तक है जान ।।


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तेरा हाथ से हाथ छोड़ना
तेरा सायों का रुख मोड़ना
तेरा पलट के फिर न देखना
नहीं माफ़ करूंगा  मैं ।
जब तक है जान, जब तक है जान ।।


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बारिशों में  बेधड़क तेरे  नाचने से
बात-बात पर तेरे बेवजह रूठने से
छोटी-छोटी तेरी बच्कानियों से
मोहब्बत करूंगा मैं ।
जब तक है जान, जब तक है जान ।।


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तेरे झूठे कसमों-वादों से
तेरे जलते-सुलगते ख्वाबों से
तेरी बेरहम दुआओं से
नफ़रत करूँगा मैं ।
जब तक है जान, जब तक है जान ।।

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