अस्सलामु अलैकुम नमस्कार सत सरीआकाल hello
में हकीम दानिश में काफी दिन से देख रहा हु एक शख्स है। जो हमारी तरह आपकी तरह। काम करते हैं। अपनी ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे फिर अचानक एक दिन उनका एक वीडियो देखने को मिलता है। जिसमे। उन लोगो के खिलाफ हक़ और सच बात बोकते हैं। जो हमारे देश को खोकला करने में लगे है। मुझे समझ नहीं आया ये ऐसा क्यू कर रहे हैं। फिर जब और वीडियो आये और इनके करीब पहुचा तब पता लगा अरे ये तो हमारे ही देश के हैं। आम नागरिक हैं। एक चीज़ और सोची के यार ये काम हम भी तो कर सकते थे।
फिर याद आया अरे नहीं भाई अपने देश में सबसे पहला मासला पहल का है पहल कोंन करे। और जैसे ही अवि डंडिया जी ने पहल की और नाम की तो में क्या कहु। वही जैसे जो तैसा। दंगों में मोहब्बत जोड़ दी और हो गया #मोहब्बत_के_दंगे। #mohabbat_ke_dange
बहुत बहुत शुक्रिया / धन्यबाद
माननीय अवि डंडिया जी। और उन सभी लोगो का भी शुक्रिया जिन्होंने इस मुहीम में अवि जी का साथ दिया।
ईश्वर अल्लाह भगवान् वाहेगुरु इसा मसीह god
आप जिसे भी मानते हो। उन से दुआ कीजिये के जल्द हमें वो दिन देखने को मिले। के जिस दिन हर गली हर शहर हर मोहल्ले में मोहब्बत के दंगे हो रहे हो। और जो अक़्ल के अंधे अपनी मानसिक स्थिति खराब होने के कारण दंगे कराते है मासूमो को बेगुनागो मज़लुमो का खून बहा कर अपनी रोटिया सकते हैं। उनकी #दूकान_बंद हो
#mohabbatkedange
#dukanband अवि अली डांडिया
ये मैंने कुछ लाईने लिखी है। शायद अवि डंडिया जी के मन की बात हो अरे सॉरी मन की बात तो अपने साहब की होती है। शायद अवि डंडिया जी के दिल की बात हो।
न पैसा चाहिए न कोई नोट चाहिए।।
न हूँ में कोई नेता जो वोट चाहिए।।
पैगाम मोहब्बत के दंगो का है मेरा
मुझको तो बस तुम्हारा सपोर्ट चाहिए।।
मासूमो के हुए यहाँ पे क़त्ल बेशुमार।।
किसी बेगुनाह को अब न कोई चोट चाहिए।।
उगलते है जो ज़हर अपने मुह से उन के मुह पे।।
मोहब्बतों के दंगो की एक चोट चाहिए।।
पैगाम मोहब्बत के दंगो का है मेरा
मुझको तो बस तुम्हारा सपोर्ट चाहिए।
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हर तरफ हो सुकून हर तरफ हो अमन
बुग्ज़ वाली न अब कोई खोट चाहिए
शुक्रिया धन्यबाद
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